

भारत के वित्त मंत्री ने हाल ही में देश का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया, जिसमें विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के लिए योजनाएँ और वित्तीय आवंटन की घोषणा की गई। इस बजट को लेकर जनता और विशेषज्ञों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। आइए, इस बजट के प्रमुख सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर एक नजर डालते हैं।
सकारात्मक पहलू
कृषि क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन:
सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं। इसमें सिंचाई योजनाओं के लिए अधिक वित्तीय आवंटन और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ कई योजनाएँ शामिल हैं। इसके अलावा, कृषि उत्पादों के लिए बाजार की सुविधा बढ़ाने के लिए नई नीतियों की घोषणा की गई है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश:
COVID-19 महामारी के बाद, सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े निवेश की घोषणा की है। इसमें नए अस्पतालों का निर्माण, वैक्सीनेशन कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त धनराशि और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए नई योजनाएँ शामिल हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास:
देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की घोषणा की है। इसमें नई सड़कें, रेलवे लाइनें, और हवाई अड्डों का निर्माण शामिल है। यह न केवल देश के विकास को गति देगा बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
MSME क्षेत्र को समर्थन:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को समर्थन देने के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की गई है। इसमें सस्ती ऋण योजनाएँ, तकनीकी उन्नति और बाजार तक पहुँच में सुधार शामिल हैं।
नकारात्मक पहलू
महंगाई में वृद्धि:
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट में विभिन्न वस्तुओं पर करों की वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है। खासकर, पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले अतिरिक्त कर से आम जनता पर वित्तीय भार बढ़ सकता है।
बेरोजगारी की समस्या:
यद्यपि बजट में रोजगार सृजन के लिए कई योजनाएँ हैं, लेकिन इसमें युवा बेरोजगारी के मुद्दे को सुलझाने के लिए पर्याप्त ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। कुछ आलोचकों का मानना है कि सरकार को नौकरी सृजन पर और अधिक ध्यान देना चाहिए था।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अपर्याप्त निवेश:
जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया गया है, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभी भी पर्याप्त नहीं है। इसी प्रकार, शिक्षा क्षेत्र में भी अधिक वित्तीय आवंटन की आवश्यकता महसूस की जा रही है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में।
कर ढाँचे में स्पष्टता की कमी:
बजट में घोषित कुछ कर नीतियों में स्पष्टता की कमी है, जिससे करदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह निवेशकों और उद्योगपतियों के लिए अनिश्चितता का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष:
इस बजट में कई सकारात्मक पहलू हैं, जो भारत के आर्थिक विकास को गति देने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इसमें कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर सरकार को भविष्य में सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर, यह बजट एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें दीर्घकालिक आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी गई है।