

समाचार पत्रों, टेलीविजन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हिंदू धर्म परंपरा और अधिकार का संरक्षण का दावा करने वाला दल भारतीय जनता पार्टी है. सामान्यता अधिसंख्य हिंदुओं में इसका विश्वास भी है. अखिल भारतीय राम राज्य परिषद और हिंदू महासभा जैसे दलों के पतन ने बीजेपी को यह स्थान दे दी है. बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में यह खूब प्रचारित किया है कि सबका साथ सबका विकास, हिंदू धर्म के मठ-मंदिरों और कुछ धार्मिक फैसलों पर देखें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि किसका कितना साथ और किसका विकास. अयोध्या राममंदिर में सरकारी ट्रस्ट का गठन हो या वहाँ से आये दिन जमीन घोटालों की ख़बर, ने धर्म-संस्कृति जैसे मुद्दे पर राजनीति करनी वालों की व्यवसायिक सोच को स्पष्ट किया है.
बिहार में कल से मठ-मंदिरों को लेकर एक खबर खूब चल रही है, जिसे कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित भी किया है. यह अपंजीकृत हिंदू धार्मिक स्थानों को पंजीकृत करने के संबंध में भाजपा कोटे से विधि मंत्री नितिन नवीन के जिला कलेक्टरों को आदेश के आलोक में है. इसमें कहा गया है कि जल्द से जल्द अपंजीकृत हिन्दू धार्मिक स्थानों का पंजीकरण और संपत्ति का विवरण बिहार राज्य हिन्दू धार्मिक न्यास परिषद् के पोर्टल पर अंकित कराई जाये. ताकि उनका संरक्षण-संवर्द्धन हो सके. मजे की बात यह है कि पिछले जेडीयू राजद गठबंधन की सरकार में जब विधि मंत्रालय राजद कोटे के मंत्री शमीम अहमद के हाथों में था तो यही भाजपा इसी आदेश का पुरजोर विरोध कर रही थी.
ध्यातव्य हो कि भाजपा जेडीयू गठबंधन की सरकार में भाजपा कोटे से विधि मंत्री प्रमोद कुमार के द्वारा ही प्रथमतया ऐसा आदेश जारी किया गया था कि मठों की संपूर्ण भूमि को प्रतिमा के नाम से दर्ज किया जावे, मठों के महंतों की मौरुसी जायदाद को भी राज्य की संपत्ति मानी जाये आदि ऐसे फ़रमान हैं जिसमें महंतों को एक सामान्य नागरिक के रूप में भी अधिकार नहीं है. प्रमोद कुमार के विधि मंत्रित्व काल में ही यह बिहार विधानसभा में कहा गया कि हिन्दू धार्मिक स्थानों के 38000 एकड़ भूमि अतिक्रमित है. इस पर आगे क्या कार्रवाई हुई, राज्य की जनता और संत-महन्त कोई जानकारी नहीं दी गई. इस प्रकरण के एक वर्ष बाद भाजपा जेडीयू गठबंधन टूट गई और नीतीश कुमार ने राजद के साथ मिलकर पुनः सरकार बनाई. इस सरकार में विधि मंत्री बने शमीम अहमद, अहमद ने जब प्रमोद कुमार के काम को आगे बढ़ाया तो भाजपा विरोध करने लगी. किन्तु वहीं भाजपा और उसके विधि मंत्री तुगलकी फरमान जारी कर मठों का सरकारीकरण कर रहे.
क्या भाजपा यह वादा हिन्दू धार्मिक नेताओं और जनता से करेगी कि मठ के जमीनों को किसी कंपनी को नहीं बेचा जायेगा? मठ की भूमि पर परंपरा के विरुद्ध कोई व्यवसायिक संस्थान न खोले जायेंगे? बिहार में ऐसे कई मठ हैं जिनका परिसर तक का अतिक्रमण हो चुका है. इन मठों के उद्धार हेतु पिछले 20 वर्षों में राज्य में सरकार की सहयोगी तथाकथित धर्मोद्धारक भाजपा ने क्या उपाय किये?
वस्तुतः यह मठ भूमियों को बड़े व्यापारी फार्मों को बेचने का आधार बनाया जा रहा. हिन्दू जनमानस को धर्म संस्कृति रक्षण की एक ऐसी घुटी पिला उनके परंपराओं के साथ ऐसा घात किया जा रहा जिससे उबर पाना सदियों तक मुश्किल होगा. सुरक्षित मठ भूमियों को तो सरकार अपनी संपत्ति में विलय कर रही पर उन 38000 एकड़ अतिक्रमित भूमि का क्या होगा? यदि आप अपने पैतृक संपत्ति पर कोई मठ बना कर सेवा का प्रकल्प चला रहे तो वह भी राज्य की परिसंपत्ति होगी. इसलिए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि हिन्दूत्व की आड़ में हिन्दू हितों से खिलवाड़ हो रहा और जनता को वर्चुअल धर्मरक्षा से फुर्सत नहीं है. और इधर साकार परम्पराओं के रक्षण के नाम पर भक्षण कर रही।