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जब बारिश तू आये (कविता)

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जब बारिश जब तू आये, 

कितने दिलों को भाए,

पेड़ पौधे हों या धरती की हरियाली,

एक सुंदर सा दृश्य स्वरूप,

चारों दिशाओं में फैल जाए,

नालों का नदियों में घुलना,

ऊंचे पहाड़ों से झरनों का गिरना,

हर दिन मौसम आना तेरा,

कितने मौसम जैसा दिखना तेरा,

हर बार तेरा आना आनंद तो नहीं,

कई लोगों के घर छत भी नहीं,

फिर भी बारिश का मौसम क्यों है इतना ख़ास?

हां, माना कि प्रकृति की सुंदरता भाए,

फिर वह भला हमें हानि क्यों पहुंचाए?

ए, बारिश जब भी तू आये,

खेत खलियान सब लहलहाए,

क्या कहूं खुद के आनंद की,

देख के वर्षा को मन आनंदित हो जाए।।

यह कविता उत्तराखंड के गरुड़ स्थित चोरसो से तानिया ने चरखा फीचर के लिए लिखा है


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