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स्मोक, वीडियो कॉल और सुसाइड… ये कैसा इमेजिनेशन।नॉट टुडे।फिल्म

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फिल्म रिव्यू - Not Today(2021)

निर्देशक और लेखक - आदित्य कृपलानी

आइसोलेशन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता, यह आपने सुना होगा। लेकिन क्तोडे आइसोलेशन आपको यह दर्द देता है कि आपने जीवन में क्या कुछ किया है? कुछ भी नहीं। अब आत्महत्या के अलावा कोई और रास्ता नहीं दिखता। यह सब जरूर महसूस होता होगा आपको। अगर जिंदगी इतनी ही बुरी लग रही है, तो सबसे पहले हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध "नाखून क्यों बढ़ते हैं?" पढ़िए। उसके बाद किसी सुसाइड प्रिवेंशन सेंटर से बातचीत कीजिए। अगर आपको इसका बिल्कुल भी आइडिया नहीं है, तो अपने जीवन के 1 घंटा 32 मिनट निकालिए और इंटरनेट पर"Not Today" टाइप कीजिए। आपके परिणाम में एक फिल्म आएगी। उस फिल्म को तसल्ली से बैठकर देखिए और अपने दोस्तों, घरवालों को भी रिकमेंड कीजिए। यह फिल्म न सिर्फ आपको जागरूक करेगी, बल्कि यह भी सिखाएगी कि अगर आपके आसपास कोई मेंटल हेल्थ से जूझ रहा हो, तो आप उसकी मदद कैसे कर सकते हैं।

फिल्म का इंशियल रिलीज़ 8 जनवरी 2021 है । 2020-21 कोविड काल का लॉक अनलॉक फेस था। डेटा के हिसाब से इस साल आत्महत्या करने वालों की संख्या अत्यधिक बढ़ रही थी। फिल्म ने कई इंटरनेशनल अवॉर्ड भी जीते। यह फिल्म हाल ही में चर्चा में तब आई, जब इसके निर्देशक आदित्य कृपलानी ने इसे फिर से लॉन्च किया और इसका प्रमोशन शुरू किया। इस प्रमोशनल एक्टिविटी में अनुराग कश्यप ने भी उनका साथ दिया।

फिल्म का प्लॉट बहुत ही आसान शब्दों में बताना चाहूंगा।फिल्म के दो मुख्य किरदार हैं—एक आलिया रूपवाला ( रुचा इनामदार), जो रिदा पहनती है, सिगरेट पीती है, और अनाथ है, लेकिन एडॉप्टेड है। उसकी उम्र 24 साल है, और वह मुस्लिम लड़की है जो बोहरी कम्युनिटी से आती है। उसके जीवन के कई अनुभवों ने उसे सुसाइड प्रिवेंशन सेंटर जॉइन करने के लिए प्रेरित किया। एक फलसफा जिसका जिक्र भी फिल्म में होता है: "To save a life"। आलिया का किरदार बहुत भावनात्मक है, और यही वजह है कि 52 वर्षीय विधुर अश्विन माथुर( हर्ष छाया), जो छत पर खड़े होकर किसी भी समय आत्महत्या कर सकते हैं, अपनी परेशानियों को उसके साथ साझा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

अश्विन, सुसाइड प्रिवेंशन सेंटर पर फोन करते हैं। आलिया फोन उठाती है, और अविनाश कुछ ऐसी मांग करते हैं, जिन्हें आलिया सेंटर के परिसर में पूरा नहीं कर सकती। उनकी बातचीत के बीच सेंटर की सर्वेसर्वा ममता मैडम(विभवारी देशपांडे), आलिया को कॉल काटने पर मजबूर करती हैं। आलिया सेंटर से बाहर निकलकर अपने पर्सनल नंबर से अश्विन को कॉल करती है। अब क्या आलिया अश्विन की जिंदगी बचा पाती है या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

आदित्य कृपलानी "तितली", "लक्ष्मी बॉम्ब", और "टोटा पाटका आइटम माल" जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। "Not Today" में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ और भी कई सामाजिक धारणाओं को तोड़ने की कोशिश की गई है। रिदा पहनकर सिगरेट पीना, बार जाना, डिवाइडर पर बैठ जाना, और हर वह काम करना, जिससे एक जिंदगी बचाई जा सके—यह सब फिल्म में बहुत प्रभावशाली तरीके से दिखाया गया है। फिल्म का नैरेटिव यह बताता है कि किसी व्यक्ति की पहचान केवल उसके कपड़ों से नहीं की जा सकती कि वह धार्मिक है या नहीं।

पूरी फिल्म कई स्मृतियों की कहानी है। फिल्म बातचीत के प्रारूप में है इसलिए विजुअल स्पेस बनाए गए है, जहां आप इस कहानी को सोच सके। फिल्म एक अच्छे डूडल स्क्रिब्लिंग की तरह लगती है, और आपकी पलकें झपकने नहीं देती। बहुत सारी भावनात्मक बातें होंगी, जिनमें दो अदृश्य किरदार अनुपमा और तसनीम अकेले में आपसे बात कर सकते हैं। दोनों से जरूर बात कीजिएगा, क्योंकि उन्हें हमारी जरूरत है।

कैसे ये दोनों पात्र अपनी हॉन्टिंग मेमोरीज को जाहिर करते हैं, इसका कोई मोल नहीं। अगर कभी जीवन में ऐसा समय आ जाए, जब आप पूरी तरह निराश हो जाएं और आत्महत्या ही आखिरी रास्ता दिखे, तो अश्विन की यह लाइन याद रखिएगा:

"In that state of mind, one should make a call. If one could make a call. Chance तो दें अगले को कुछ करने का, एक जिंदगी बचाने का... that's ethics."

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