छोटी सी है दुनिया मेरी, इसी में है ख़ुशियाँ मेरी, ढेर सारे दोस्तों की यारी, चमक रही है दुनिया मेरी, ना आने दूंगी पाबंदी इसमें, जैसा सोचा वैसा ना हो पाए, जो सोचा वो करने है मुझे, सब बंधनों से आगे बढ़ना मुझे, जो सोचा है वो कर दिखाउंगी, इस दुनिया को मैं भी बताऊँगी, लड़की हूं कमज़ोर नहीं कोई, सबको यह संदेश सुनाऊंगी।। यह कविता उत्तराखंड के गरुड़ स्थित सुराग गांव से कुमारी मनीषा ने चरखा फीचर्स…
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