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Channel: Youth Ki Awaaz
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तलाश

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तलाश

मैं उस दिन की तलाश में हूँ, 

जहाँ दुनिया की सारी तलवारों पर गंज चढ़ जाए,

 रक्तरंजित मैदानों पर फूल खिल जाए।

हर किसी का खून एक रंग बन जाए,

दहशत की आँधी मिट्टी में मिल जाए।

मैं उस दिन की तलाश में हूँ,

जहाँ मेज के नीचे के हाथ कट जाएँ,

जरूरत से ज्यादा के जेब कट जाएँ,

चुड़ियों का आगाज हो,

न्याय की बुलंद आवाज़ हो।

अहंकार में डूबा पितृसत्ताक विचार भी

तिलमिलाकर कहे 'बेटी, तुम जांबाज हो।'

मैं उस दिन की तलाश में हूँ

जहाँ कागज़ शिकायतों के बोझ से आज़ाद हो,

जीती-जागती सुनहरी कहानियों का आगाज़ हो,

मरा हुआ ज़मीर फिर से ज़िंदा हो।

मैं उस दिन की तलाश में हूँ

जहाँ इंसान इंसानियत से मुकम्मल हो।

- लक्ष्मी काबरा


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