$ 0 0 “लिखना मत छोड़ो तुम”डॉ लक्ष्मण झा परिमल=================गुनधुन मेंआखिर क्यों रहूँक्यों सोचूँभला क्या लिखूँकभी कवितामुझे खींचती हैकभी मेरीउँगलियों को पकड़कहती है“लिख डालो कहानियाँ”खिस्से ,संस्मरण !लोगों की भावनाओं को लिखोउनकी व्यथाओं कोउजागर करो !जहाँ कोई तंत्र ना पहुँचता हैवहाँ जाकर अपनीकिरणें बिखेरोकोई पढ़े या ना पढ़ेआज नज़रअंदाज़ उन्हें करने दोकल कोई ना कोईइन पन्नों को पलटेगादुख: दर्द समझेगा !अंदाज़ कुछ भी होलिखना मत छोड़ो तुम !!===================डॉ लक्ष्मण झा परिमलसाउंड हैल्थ क्लीनिकएस 0 पी 0 कॉलेज रोडदुमकाझारखंडभारत05.02.2025