$ 0 0 “अपने में मस्त”(व्यंग )डॉ लक्ष्मण झा परिमल ================फेसबूक से जुड़ा हूँ पर अपने प्रोफ़ाइल से निकलने का मौका ही नहीं मिलता कभी अपनी कविता में उलझ जाता हूँ कभी – कभी कहानियाँ निकल आती है कभी तो अपने संस्मरणों से लिकल पाता नहीं !शब्द प्रारूपकविता की चार पंक्तियाँ सब दिन लिखता हूँ अच्छे -अच्छे अवसर पर लाइव आकरलोगों को शुभकामना देता हूँ नोटिफ़िकेशन ,स्टेटस,व्हात्सप्प और मेसेज को पढ़ना मेरी पुजा है बस एक ललक मेरीरहती है किफेसबूक के मित्रों की टोलियाँ बनती जाए वे लिखेँ या ना लिखें उनको कौन पढ़ता है उनको कौन देखता है कभी रील तो कभी नेट्फ़्लिक्सको उलटता - पुलटता हूँ कोई कुछ भी कहे मुझे परवाह नहीं किसीकी मैं सिर्फ अपने में मस्त रहता हूँ !!====================== डॉ लक्ष्मण झा परिमलसाउंड हैल्थ क्लीनिक एस 0 पी 0 कॉलेज रोड दुमका ,झारखंड, भारत 06.02.2025