

बदलती जलवायु खतरे में मानव जीवन
आज कल हम सभी ने किसी न किसी के मुख से कही न कही जरूर सुना होगा कि गर्मी बहुत हो रही हैं या वक्त से पहले सर्दी चली गई। असल मे यह सुना और बोला तो हम सबने है।।लेकिन इस पर विचार Cbse या बात करने के लिए हममे से कोई आगे नही आना चाहता कि आखिर इतनी गर्मी क्यो पड़ रही। क्या वजह है,क्या कारण है कि तापमान में इतनी तेजी से वृद्धि हो रही है। और इसका भविष्य में हमारे उपर कैसा प्रभाव पड़ेगा। आधुनिकता की होड़ में विकास की आड़ में मानव की जो प्रकृति विरोधी मानसिकता हो गई है, वह हमारे लिए कितनी घातक सिद्ध होगी। समस्या उस वक्त पैदा हुई जब इंसानी गतिविधियों के चलते पर्यावरण मे कार्बन डाइऑक्साइड व मीथेन जैसी गैसो की मात्रा में वृद्धि होने लगी। जब इनकी मात्रा बढ़ी तो वह सूरज की अधिक गर्मी सोखने लगी और इस तरह से पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगा और यही से जलवायु परिवर्तन की शुरुआत हुई। प्रकृति मे पाई जाने वाली गैसो मे सबसे खतरनाक कार्बन डाइऑक्साइड है और वायु मंडल मे सबसे अधिक समय तक यही उपस्थित रहती हैं। और वायु मंडल में सबसे अधिक मात्रा में यही बढ़ी है जिसका कारण इंसानो द्वारा जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल यानी कोयला, डीजल, पेट्रोल आदि। 1750 से अब तक हमारे वायुमण्डल मे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा मे 30% की वृद्धि हो चुकी है। समस्या इसलिए और बड़ी हो चुकी हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले पेड़ पौधों को जंगलो की अंधाधुंध कटाई हो रही हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि व्यापक औधोगिकीरण शुरू होने के कारण पृथ्वी के तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हुई है । कई रिसर्च ने दावा किया है कि अगर यह वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गई, तो हम बर्बादी के मोड़ पर खड़े होंगे,। तापमान बढ़ने के कारण पिघलते ग्लेशियर जिसके कारण समुद्र का बढ़ता जलस्तर, 2005 से 2015 तक हर साल समुद्र के जलस्तर मे 3.3 मिमी की वृद्धि हुई है । बढ़ते तापमान के कारण ये अपने साथ आप्रत्यशित घटनाएं सूखा, तूफान ,बाढ़, बेमौसम बारिश ला रहे है। ऐसे मे यह अपने पीछे कई सवाल छोड रहा है। इस त्रासदि को रोकने के लिए हम आप क्या कर रहे हैं। हमारी सरकारे इस विषय को लेकर कितना चिंतित व घम्भीर है। क्या ठोस कदम उठाये जा सकते है।