

दे मेहता बॉयस को बोमन ईरानी द्वारा निर्देशन किया गया है . इस फिल्म में दर्शकों को बहुत सारे सुख - दुख के इमोशनल देखने को मिल सकते हैं . फिल्म की कहानी शुरू होती है एक आर्किटेक्ट लड़के से जिसका नाम आयन होता हैं . जो मुंबई की एक बहुत बड़ी कंपनी में काम करता है और बहुत मेहनत करता है, लेकिन कितना भी ट्राई कर ले उसे कोई नया आइडिया आता ही नहीं है. जिससे वह खुद को दूसरे से अलग बनाएं फिर फिल्म में श्रेया चौधरी की एंट्री होती हैं जो जारा का किरदार निभा रही होती हैं . वो उसके नए प्रोजेक्ट की हेड होती है और साथ ही उसकी गर्लफ्रेंड भी होती है . वो आयान को खूब मोटिवेट करती हैं जिससे उसे कोई नया आइडिया लेकर आएं , लेकिन उसे खुद पर विश्वास नहीं होता है. एक दिन आयना की मां की अचानक से मृत्यु हो जाती हैं जिसकी खबर सुनते ही आयन के पाए से जमीन खिसक जाती है और जल्द से जल्द अपने घर पहुंचने की कोशिश करता हैं . इस फिल्म में बोमन ईरानी आयन के पिता का किरदार निभाते रहे होते है और जब आयान घर पहुचता तो वो अपने पिता की हालत को देखकर सहम जाता है .आयन की बहन और वो डिसाइड करते है की वो अपने पिता को अमेरिका अपने साथ ले जा रही है,क्योंकि मां के जाने के बाद वो बहुत अकेले हो जाएंगे. जब बोमन ईरानी घर बंद कर रहे होते तो चाहते की वो अपनी पत्नी से जुड़ी सारी यादों को समेटेकर एक बैग में पैक करके ले जाएं . जिसे देखकर उनकी बेटी मोना भी भावुक हो जाती है .फिल्म में आयन और बोमन ईरानी का रिश्ता शुरू से ही अच्छा नहीं रहा हैं क्योंकि वो उसके काम को लेकर हमेशा कोसते रहते हैं. अब फिल्म का मोड़ को बदल जाता है और आयन और बोमन ईरानी को कुछ वक्त एक साथ रहना होता है मुंबई में आयन के फ्लैट में . जिसे उसके पिता फ्लैट से घर बना देते है . अब इस वक्त को दोनों खुशी और लड़ाई झगड़े से जीते हैं और बचपन के कुछ पलों को याद करते है . इस एक हफ्ते में दोनों के रिश्ते बदलता और आयन के पिता जब अमेरिका चले जाते है तो उनकी कमी उसे अपने घर में साफ दिखाई देती हैं . फिल्म में बहुत सारे खुशी के पल भी जो एक पिता और बेटे के रिश्ते को मजबूत भी करते हैं